बड़े शहर के निवासी हो चले हम जब — अपने घर-गाँव अपनी जन्मस्थली, जहाँ बचपन बीता हो — जाते हैं तो दिल-ओ-दिमाग़ पर जो प्यारी-सी नमी छा जाती है उसे मैत्रे…
आगे पढ़ें »सचमुच वाजपेयी जी ने विरोध किया था। Jeevan kya Jiya - 4a Namvar Singh जीवन क्या जिया! ( आत्मकथा नामवर सिंह बक़लम ख़ुद का अंश) मै…
आगे पढ़ें »मं गलेश डबराल - कवितायेँ आसान शिकार मनुष्य की मेरी देह ताकत के लिए एक आसान शिकार है ताकत के सामने वह इतनी दुर्बल है और लाचा…
आगे पढ़ें »खोल दो -सआदत हसन मंटो अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin