शकुन्तला — स्मृति जाल उपन्यास अंश यह महाभारत की शकुन्तला की कथा नहीं, एक और शकुन्तला की कहानी है। नमिता गोखले की अपनी स्मृति और कल्प…
रामकुमार सिंह के उपन्यास ‘जेड प्लस’ का अंश "ज़ेड प्लस सिनेमा और साहित्य की दूरियों को पाटने का काम करेगी। इसकी भाषा पठनीय है। यह …
कितना फर्क है दिल्ली और पटना में - अर्पण कुमार नयी दिल्ली... देश भर से यहाँ छात्र अपनी अध्ययन-क़िस्मत जगाने के लिए आते हैं, किसी छोटे शह…
बाक़र गंज के सैयद 4 ~ असग़र वजाहत लखनऊ आते वक्त ज़ैनुलआब्दीन ख़ाँ मिसरी बेगम और बच्चों को मुर्शिदाबाद छोड़ आये थे। लखनऊ में महलसरा बनवा लेन…
'माधो, मैं ऐसो अपराधी', उपन्यास 'हर्फ हर्फ मुलाकात' का अंश - अल्पना मिश्र ये सुनहरे दिन छोटे थे। छोटे इसलिए कि जल्दी बीत गए…