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कविता की रफ़्तार उबड़-खाबड़ जमीं पर तेज हो जाती है  - कल्याणी कबीर
लोकार्पण:  ‘ख़्वाब ख़याल और ख़्वाहिशें’ - कैप्टन नूर
लोकार्पण : व्यंग्यऋषि शरद जोशी - डॉ वागीश सारस्वत