उदय प्रकाश की कहानी तिरिछ तिरिछ में उदय प्रकाश अपने नायक से कहलवाते है “ लेकिन मैं यह जानता हूँ, मुझे अच्छी तरह से महसूस होता है कि उ…
शहर छूटा, लेकिन वो गलियां नहीं! — गीताश्री आखिर बाईजी का नाच शुरु हुआ। घर की औरतों को ऐसा नाच देखने की मनाही तो होती है, लेकिन घर की …
हिंदी कविता : Ek Bhasha Hua Karti Hai उदय प्रकाश: Uday Prakash एक भाषा हुआ करती है जिसमें जितनी बार मैं लिखना चाहता हूं `आंसू´ से मिल…
यतीन्द्र मिश्र — लता मंगेशकर का भजन देवता सुनते थे! लता: सुर-गाथा : अंश 1:10 यतीन्द्र मिश्र शुरुआती दौर में, जब लता मंगेशकर ने फ़िल…
15 मई 2017 सुबह 9 के आसपास हमें मई की दिल्ली में सुबह ही हो जाने वाली गर्मी और 3 घंटे से चल रहे फ़ोटोशूट की दौड़ ने शारीरिक और मानसिक थका द…
रूपा सिंह की कवितायेँ शिमला में गोल मेज़ देख के लिखी गई कविता तीन कुर्सियाँ थीं, क़रीने से रखीं दूधिया, सफ़ेद, शफ़्फ़ाक। बीच मे…