जंगराइत को पढ़कर लगा ... प्रज्ञा हाल में प्रकशित कृष्ण बिहारी की चर्चित कहानी 'जंगराइत' पर युवा कहानीकार प्रज्ञा की टिप्पणी -----…
सिल की तरह गिरी है स्वतंत्रता और पिचक गया है पूरा देश सन उन्नीस सौ साठ के बाद का दशक भारतीय समाज में आज़ादी, लोकतंत्र और नेहरूयुगीन महास्वप्न…
के.के.बिरला फाउंडेशन का चौबीसवां 'बिहारी पुरस्कार' प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार श्री ओम थानवी को के.के.बिरला फाउंडेशन के निदेशक …
संस्मरण... साहित्य की महत्वपूर्ण और ज़रूरी (दस्तावेज़ी तौर पर तो हर हाल में) विधा । लेकिन, अख़बारों और पत्रिकाओं में छपने वाले संस्मरण आजकल कम प…
कबिरा हम सबकी कहैं विभूति नारायण राय पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल के छात्रों पर हुए हमले के संदर्भ में मैंने फरवरी के अपने संपादकीय में…
‘जानकीदास तेजपाल मैनशन’ एक नहीं दो उपन्यास हैं, एक जो आत्मकथा के रूप में लिखा गया है और दूसरा उसी के साथ बेहद रचनात्मक ढंग से बुनी गयी घटनाओं क…