आखेट तभी होता है जब लड़की नहीं रोकती ~ सोनाली मिश्र मुझे वह होली याद है जब मैं शायद 9 बरस की रही होऊँगी। आज भी, मेरे ज़ेहन में कई बरस पहले…
गोष्ठी ~ सुभाष नीरव वह चाहकर भी उसे मना नहीं कर सके। जबकि मदन के आने से पूर्व वह दृढ़ मन से यह तय कर चुके थे कि इस काम के लिए साफ़-साफ़ ह…
कसाईखाना अमित बृज सीन-1 “भैया मुसलमानी है।” “पकड़ पकड़। इधर ला साली को। अन्दर ले चल इसे।“ (थोड़ी देर बाद) “अब एक काम कर, तू जा। मेर…
कवितायेँ ~मुकेश कुमार सिन्हा सिमरिया पुल जब भी जाता हूँ गाँव तो गुजरता हूँ, विशालकाय लोहे के पुल से सरकारी नाम है राजेन्द्र प्रस…
वह रात किधर निकल गई ~ गीताश्री वह रात नसीबोंवाली नहीं थी। देर रात फोन पर झगडऩे के बाद बिंदू किसी काम के लायक नहीं बची थी। …
कहानी : दिल की रानी, सपनों का साहजादा आकांक्षा पारे काशिव मंजू पाटीदार और विशाल यादव की प्रेम कहानी 'दिल की रानी, सपनों का साहजादा&…