सच की अनदेखी, सुरक्षा से समझौता — राजदीप सरदेसाई ‘ आप कहां खड़े हैं, यह इससे तय होता है कि आप बैठे कहां हैं ,’ कांग्रेस सांसद शश…
गाँधी मार्ग की कठिन चुनौतियाँ डॉ. ज्योतिष जोशी गाँधी को याद करना जैसे देह के भीतर अपनी आत्मा को निहारना है आज जब पूरे विश्व मे…
प्रवासी फिल्म प्रवासी भारतीय फिल्म वर्तमान दौर में डायस्पोरिक सिनेमा — सक्षम द्विवेदी प्रवासन एक ऐसी प्रक्रिया है जो क…
Hindi Kahani by Pratyaksha बलमवा तुम क्या जानो प्रीत कहीं मकान के पेट से ये आवाज़ अँधेरे को चीरती तीखेपन से पहुँचती । बूढ़ा उठ कर पिछवा…
Need one more Renaissance - Anuj एक रिनेशां (Renaissance) और चाहिए - विंची को याद करते हुए — अनुज इतिहासकारों का स्वाभाविक शगल अभी…
‘गाइड’ के दृश्य का दोहराव क्यों? — शेखर गुप्ता यदि आपने देव आनंद की 1965 की क्लासिक फिल्म ‘गाइड’ देखी हो तो टीवी स्क्रीन पर सू…