प्रांजल धर — कविता — कुछ भी कहना ख़तरे से खाली नहीं
प्रथम हंस कथा सम्मान  (तस्वीरें)
कहानी: हव्वा की बेटी - जयश्री रॉय
भूमंडलीकरण की सौगातें - रवीन्द्र कालिया
नपुंसक समय में प्रेम और हिंसा साथ साथ चलते हैं - गीताश्री