योगिता यादव के सामयिक प्रकाशन से छपे उपन्यास ' ख्वाहिशों के खांडववन ' की समीक्षा करते हुए उर्मिला शुक्ल लिखती हैं: योगिता यादव …
योगिता यादव की लेखनी को मैं सदैव कहानी की विषयवस्तु को बिलकुल ताज़ा लिखने वाली मानता हूँ ,'नई देह में नए देस में' उन्होंने मेरी यह धारणा …
फ़ोटो: भरत एस तिवारी कहानी कृश्न चन्दरजी का कालजयी व्यंग्य 'एक गधे की आत्मकथा' अभी इसलिए याद आ रहा है कि हिंदी को अच्छी-अच्छी …
योगिता यादव बदलते समय पर कहानी — बन्नो बिगड़ गई — योगिता यादव बिगड़ना और सुधरना का माने वक़्त के साथ बदलता जाता है। कहानी कहे जाने का…
प्रदूषण वाली स्टोरी हर जगह कई बार छप चुकी है। कई संस्थानों से इस पर छोटे—बड़े धुरंधरों ने शोध के लिए रकम भी ऐंठी है। पर हुआ कुछ नहीं। प्रदू…
गलत पते की चिट्ठियां योगिता यादव स्त्रीविमर्श को एक और सिपाही मिल रहा है, योगिता यादव की ख़ूबसूरत शिल्प में रची बढ़िया कहानी 'गलत पते की…