पूर्वकथनः दिसंबर का मतलब साल का अंत, खत्म हो जाने का महीना। लेकिन इसके पहले ही कुछ ‘अंतों’ ने मुझे अंतहीन यंत्रणा के हवाले कर दिया। मन्ना डे, राजें…
'पाखी' के राजेंद्र यादव पर केंद्रित सितंबर-2011 अंक के संपादकीय का किंचित संशोधित प्रारूप। 29 अक्टूबर 2013 को राजेंद्र यादव के देहावसान पर …
यह कैसी विडंबना कैसा झूठ है दरअसल अपने यहां जनतंत्र एक ऐसा तमाशा है जिसकी जान मदारी की भाषा है [ धूमिल ] मदारी का मायाजाल प्र…
हमारे लेखन में पूर्वजों का लेखन इस तरह शामिल होता है जैसे हमारे मांस में हमारे द्वारा खाए गए जानवरों के मांस- बोर्हेस आप किसी ट्रैफिक जाम में त…
वैधानिक चेतावनी: भावुकता विकास के लिए हानिकारक और मौजूदा दौर में असभ्यता है। गुजारिश है कि इसे वे नहीं पढ़े जो उदासी, दर्द, स्मृति, परंपरा को पिछड…