‘मैं जानती हूं, वे (मोदी) एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे’ लक्ष्मी अजय अमदाबाद, 1 फरवरी। जिस इंसान के बारे में वे दावा करती हैं कि वे आज भी उनके पति…
स्त्री विमर्श और आत्मालोचन मैत्रेयी पुष्पा इस शब्दयुग्म से बहुत से लोगों का साहित्यिक जायका कड़ुवा हो जाता है। अगर ऐसा अनुभव है तो यह कोई विचित…
इन दिनों देश कहां जा रहा है। इसको लेकर बड़ी व्यापक चिंता हो रही लगती है। उन तबकों में भी, जिनमें देश अभी तक किसी तरह के जिक्र के काबिल नहीं माना जा…
हमारे लोकतांत्रिक जीवन को हिंसा, धर्मांधता, सांप्रदायिकता, अनियंत्रित बाजार आदि से जितना खतरा है, हमारे बौद्धिक जीवन में बढ़ती संकीर्णता से उससे कम …
आज के समय में सच के लिए लड़ने वाले और निर्भयता से झूठों के चेहरों का पर लगी नक़ाब उतारने इन्सान विरल हैं. राजनीति, पैसा, झूठी शान आदि समाज पर इतन…
जनसत्ता संपादक श्री ओम थानवी के स्तम्भ ' अनंतर ' में अपने आंशिक जिक्र के प्रतिवाद में श्री आशुतोष कुमार ने एक लम्बा आलेख 'जनसत्ता&…