करी ख़ुदकशी युवा कृषक ने, रुदन भरी तेरहवीं, पंच मौन थे ग्राम-सभा के, हुई न गहमागहमी। देना मोल फसल का सारा। प्यारे, तेरह प…
चौं रे चम्पू! —अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! नए साल ते का उम्मीद ऐ तेरी? साल तो पलक झपकते बी…
बिल्लियो मूंछें झुकाओ! — अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! सराबबंदी ते कोई असर परौ? हर पाबंदी, …
आइए, कहानी-कविता चुराएं ~ अशोक मिश्र अशोक मिश्र पिछले 23-24 वर्षों व्यंग्य लिख रहे हैं। कई छोटी-बड़ी पत्र-पत्रिकाओं में खूब लिखा। …
कन्या रत्न का दर्द प्रेम जनमेजय आप यह मत सोचिए कि मैं कोई साधु संत या फिर आधुनिक बाबा-शाबा हो गया हूं और आपको माया मोह से दूर रहने की सलाह …