मृदुला गर्ग मिलजुल मन (साहित्य अकादमी 2013 'हिन्दी' पुरस्कृत उपन्यास) जुग्गी चाचा और हम जुग्गी चाचा हमारे घर र…
पुनर्जन्म रश्मि बड़थ्वाल “अरे जुपली, ले अब तो फागुण आधे से ज्यादा निकल गया! अब तो समेट ले अपना समान, अकसा-बकसा लुटरी-कुटरी।” धीर सिंह जुपली…
संसद का बदलता स्वरूप: बहस के प्रति उदासीनता श्वेता यादव “किसी कार्यशील एवं जीवंत लोकतान्त्रिक समाज में सूखा पड़ सकता है, पर दुर्भिक्ष नहीं पड़…
पुरखों का दुख मदन कश्यप दादा की एक पेटी प़डी थी टीन की उसमें ढेर सारे का़ग़जात के बीच ज़डी वाली एक टोपी भी थी ज़र-ज़मीन के दस्तावेज़ बटवारे …
सिनेमा और हिंदी साहित्य इकबाल रिज़वी भारत में फिल्मों ने 100 वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है । दरअसल वह अपने दौर का सबसे बड़ा चमत्कार था जब हिलत…
शब्दांकन की विशेष प्रस्तुति प्रसंगत: अशोक वाजपेयी पिछले दिनों सुप्रसिद्ध कवि अशोक वाजपेयी से कवि-आलोचक ओम निश्चल ने एक बहसतलब बातचीत की है जो आ…
अब क्या होगा रवीश कुमार दिल्ली के नतीजे आ गए हैं । कोई नहीं जीता है यहाँ । मगर कोई साहस नहीं कर पा रहा है कि राजनीति की व्यावहारिकताओं के नाम …