धामा अपने गुस्से को छिपाकर अचानक संयत हो गया. उसने कपट की अधिकता से हल्की हो गई आवाज में कहा, "देख रहे हैं सर...आप भी देखते जाइए. याद…
हम नहीं चंगे बुरा न कोय “पल्प फिक्शन”, 2004 के इकॉनोमिक टाइम्स में यह आर्टिकल छपा था, शायद वह पहली दफा था जब मैंने अपने लड़कपन के प्रिय…
दारा शिकोह का पुस्तकालय और औरंगज़ेब के आंसू! — बोधिसत्व शाहजहां जब बादशाह था उसके बड़े बेटे दारा शिकोह ने अपने लिए एक पुस्तकालय ब…