कृष्णा सोबती जी के प्रिय उपन्यास 'मित्रो मरजानी' का यह अंश यह कहते हुए कि वह पितृसत्ता भी ख़तरनाक हो सकती है जिसके केंन्द्र में मातृ-शक्ति हो…
कृष्णा सोबती: प्रतिरोध की आवाज़ —ओम थानवी कृष्णाजी से पाठक के नाते मेरा रिश्ता पुराना था। दिल्ली आने के बाद कुँवर नारायण, कृष्ण …
कृष्णा सोबती की कहानी आज़ादी शम्मोजान की 'भूरे-भूरे' उसने आवाज़ लगाई। शम्मोजान की सीढ़ियों पर बैठा भूरा किसी नौजवान छोकरे क…
Photo (c) Krishna Sobti कृष्णा सोबतीजी की "मार्फ़त दिल्ली" पढ़ रहा हूँ. मैं, साहित्य आदतन तोड़ा धीरे-धीरे ही पढ़ता हूँ. और तब तो …
आखिर कौन से आंतरिक या बाहरी दबाव है जिनकी चुनौती से हमारी पुरानी परम्परा, सनातन शिखर समतल मैदान में बदल जाएंगे। क्या सचमुच? — कृष्णा सोबती …
Photo (c) Bharat Tiwari कृष्णा सोबती की कविता वैदिक है क्रान्ति क्रान्ति क्रान्ति भारत में क्रान्ति नहीं है यह कोई…
!-- itemprop="image" meta itemprop="datePublished" content="2015-02-05T08:00:00+08:00"/--> मोदीजी के नाम कृ…
चतुर बनिया पार्टी ! — कृष्णा सोबती साहित्य अकादमी सम्मानित कृष्णा सोबतीजी 92 वर्ष की युवा हैं. बीते दिनों उनकी तबीयत ठीक नहीं रही और वह…