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फ़ासिज्म का जहर बड़ा मीठा होता है - विभूति नारायण राय | Fasijm, the Sweet Poison -  Vibhuti Narayan Rai
'वर्तमान साहित्य' अगस्त–सितम्बर, 2014 दुर्लभ साहित्य विशेषांक | Vartman Sahitya (Online) - Aug Sep 2014 [89]
नामवर सिंह से कवि केदारनाथ सिंह की बातचीत / Namvar Singh in Conversation with Poet Kedarnath Singh
 पद्मा विभूति नारायण राय का जन्मदिन | Padma Vibhuti Narain Rai's Birthday
भयानक समय सचमुच मूर्त रूप में हमारे सामने आन पहुचा है - विभूति नारायण राय | Dreadful Time is here - Vibhuti Narayan Rai
आवरण: ''वर्तमान साहित्य'' अगस्त-सितम्बर 2014 | Cover : ''Vartman Sahitya'' August-September 2014
Forward Press July 2014 फॉरवर्ड प्रेस जुलाई
हंस मई 2014 : Hans May 2014
उत्तर आध्यात्मिकता का अतिक्रमण - विजय राय Infraction of Post-Spirituality - Vijay Rai
पत्रिका : नया पथ (जनवरी-मार्च 2014) Magazine 'Naya Path' (January - March 2014)
लमही औपन्यासिक बनाम उपन्यास विशेषांक - विजय राय | Lamahi Novelistic Vs Novel Issue - Vijay Rai
हंस. फरवरी 2014 | Hans Magazine : February 2014
लमही का आगामी अंक 'औपन्यासिक' ! Next Issue of Lamhi - Aupanyasik
निकट:  जनवरी-जून 2014 | Nikat :January-June 2014
हिन्‍दी चेतना' जनवरी-मार्च 2014 अंक
नपुंसक समय में प्रेम और हिंसा साथ साथ चलते हैं - गीताश्री
अपने पंखों को आकाश दो - गीताश्री