Photo (c) Krishna Sobti कृष्णा सोबतीजी की "मार्फ़त दिल्ली" पढ़ रहा हूँ. मैं, साहित्य आदतन तोड़ा धीरे-धीरे ही पढ़ता हूँ. और तब तो …
Photographs and Report 68th Rajkamal Prakashan Foundation Day 28 फरवरी को कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राजकमल प्रकाशन ने अपना 68वां स्…
अनुराधा बेनीवाल की किताब ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ को राजकमल सृजनात्मक गद्य सम्मान The headline of the Article description 28 फ़…
कितना आसान होता है - किसी कहानी को दौड़ते-हुए पढ़ जाना और फिर उसे खारिज़ या बहुत-अच्छी-कहानी कह देना. वादा कीजिये - कहानी को भागते-भूगते नहीं पढ़ेंग…
'मोनिका फिर याद आई' सौभाग्य से, चंद रोज़ पहले ही एक कहानी-पाठ में इसे लेखिका के मुख से सुना. कहानी के बारे में सिर्फ इतना ही कहुंगा कि अ…