ये सच तो सभी जानते हैं कि अपनी पहली किताब हर कवि/लेखक को बेहद प्रिय होती है. अपने पहले कविता संग्रह ‘संतरंगी मन’ में मैंने जीवन के कई-कई …
प्रेम का ज़ख़्म तो वैसे भी सदा गहराता है...हरा रहता है ताउम्र...जैसे रहता है नीम के दरख्त पर झूमते पत्तों का रंग दूर देस की पाती - 1 …
अखिलेश्वर पांडेय की कविता बस इतनी गुज़ारिश है मुझे ग़ालिब न बनाओ ग़ाली न दो! मैं बड़ी क़द्र करता हूं उनकी मैं तो उनकी सफेद दाढ़ी का ए…
ऐसे तो शहर में कई दोस्त थे पर उसका हर किसी से घुलने मिलने का मन नहीं करता था और रोज़ रोज़ कब तक साथ के लिए भागो, अपने अकेलेपन से तो अकेले ही ल…
Hindi Love Story by Madhu Kankaria 'Chidiya Aise Marti Hain' प्रेम का होना ही है कि संसार दीख पड़ता है. प्रेम की चोली के दामन मे…