लघुकथा बाल मजदूरन - शोभा रस्तोगी “हैं ! मेड रख ली तूने ? उम्र क्या है ?” “बारह। यार, छोटे मोटे सौ काम खड़े रहते हैं। किसी को पानी, किसी को …
ठेस - प्राण शर्मा दस-ग्यारह साल का भारतीय मूल का लड़का बस से उतरा ही था कि लगभग उसीकी उम्र के दो आयरिश लड़के उससे भिड़ गये। आँखें तरेर कर बोले -”…
१३ जून १९३७ को वजीराबाद में जन्में, श्री प्राण शर्मा ब्रिटेन मे बसे भारतीय मूल के हिंदी लेखक है। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम ए बी एड प्राण शर्मा क…
ती न ल घु क था एँ - प्रा ण श र्मा धंधा मेरा एक पड़ोसी अँगरेज़ है। पड़ोसी होने के नाते उसने बातों ही बातों में मुझको बताया - ` …
" गुड मॉर्निंग, मिस्टर जॉर्ज, हाउ आर यू दिस मॉर्निंग ? ” “ डूइंग गुड मिस नीना ”, कहकर जॉर्ज अपना सिर हिलाता है, और नीना की तरफ देखे बि…
मेटरनिटी होम एंड टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के बाहर लगी बेंच पर वो ग्रामीण दंपत्ति, पिछले तीन घंटे से बैठे थे , अब जाकर उनका नंबर आया था ,सिस्टर उन…
खोल धारा 144 थी, नई दिल्ली के संवेदन-शील इलाकों के मेट्रो स्टेशन अगली सुचना तक कई दिन से बंद थे । एक बहुत ही संवेदन-शील बाराखम्बा बस-स्टॉप पे …
"हेलो मैं मेघा बोल रही हूँ" "अरे तुम फोन पर क्यों बात कर रही? मैं तो घर के बाहर ही खड़ा हूँ" "पर मैं घर के भीतर नहीं हूँ…