भारत भी पाकिस्तान की तरह एक धर्माधारित राज्य अथवा हिन्दू राष्ट्र बन गया होता तो आज उसकी शक्ल क्या होती? उसमें रहने वाले शूद्रों, पिछड़ों या स्त्रिय…
'वर्तमान साहित्य' अगस्त–सितम्बर, 2014 दुर्लभ साहित्य विशेषांक विज्ञान और युग — जवाहरलाल नेहरू हिंदू संस्कृति — डा. राममनोहर लोहिया…
संवाद आलोचना के जोखिम नामवर सिंह से कवि केदारनाथ सिंह की बातचीत Risks of Criticism Namvar Singh in Conversation with Poet Kedarnath S…
8 अक्टूबर को दिल्ली में 'वर्तमान साहित्य' के संपादक और पूर्व कुलपति अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा , पूर्व महा-निदेशक उ०प्र० प…
हमारे कवि क्या कर रहे हैं? क्या यह भयानक समय अब भी उन्हें डराता है? या फिर वे आने वाले अच्छे दिनों में अपना …
वर्तमान साहित्य "अगस्त-सितम्बर 2014" सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति नारायण राय | कार्यकारी संपादक: भारत भारद्…
मुक्तिबोध की अपनी विचारदृष्टि जो भी रही हो, उनकी उपलब्धि का एक महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि उनकी दृष्टि से अलग या कई बार विपरीत दृष्टि रखने वाले …
समीक्षा सरकारी भ्रष्टाचार से लहू-लुहान होता एक ईमानदार अधिकारी डॉ. बिभा कुमारी कथाकार रूपसिंह चंदेल का नवीनतम प्रकाशित उपन्यास है -“ गलियारे …