न जाने कब ही क्या तुम मांग बैठो — गौरव सक्सेना "अदीब" प्रेम ही है एक अमर चीज़। प्रेम को पढ़ना प्रेम, देखना प्रेम, सुनना प्रेम..…
शेतकरी को यह विश्वास दिला दिया गया है कि धरती की उर्वर शक्ति को, उत्पादकता को बनाए रखने के लिए जरूरी हो गया है बढ़िया बीज और खाद। बीज, खाद और …
Ravish Kumar (Photo (c) Bharat Tiwari) पिछला चैप्टर — रवीश कुमार हम भूलते रहें वो खेलते रहें. यह खेल जबतक खेल है कोई दिक्कत नहीं, न …
सामान्य भारतीय की देशभक्ति टीवी स्क्रीन देशभक्ति होती है। आम जीवन में भारत के धनी, राजनेता, बड़े अफसर अपने बेटे-बेटियों को सेना में भेजते ही…
खुश्बू: रिस्क@इश्क... इरा टाक के रूमानी उपन्यास का अंंश शाज़िया के पास फिलहाल कोई चारा नहीं था. वो अनमनी सी मार्टिन के साथ कार से उतर …
प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार के अनुसार विश्व विद्यालय में एक टैंक रखा जाना चाहिए (फोटो: भरत तिवारी) सूत्रों के अनुसार यह एक सोची समझी प्रक्रिय…
निरन्तर अन्तर्यात्रा की कविता — प्रभात त्रिपाठी समीक्षा ‘जहाँ होना लिखा है तुम्हारा’ अभी मैं इसी पर सोच रहा हूँ। मैं अपने सोचने को ह…