लिहाफ़ - इस्मत चुगताई जब मैं जाड़ों में लिहाफ ओढ़ती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम से म…
साहित्य-संस्कृति से जुड़ी संस्थाएं सिफारिश, दलाली के झांसों में आकर गलत काम करती हैं - मैत्रेयी पुष्पा शब्दांकन पर मैत्रेयी जी के चाहने वाल…
हिंदी की दुनिया में बड़े लेखकों के निधन से रिक्तता - अशोक मिश्र रवीश कुमार की जिस लघु प्रेम कथा को ‘लप्रेक’ के नाम से छापा गया वह हिंदी की मु…
कवितायेँ - नायिका की शैफाली 'नायिका' स्वतंत्र लेखन व अनुवाद से जुड़ी हुई हैं, माइक्रोबायोलॉजी में स्नातक हैं, हिन्दी पोर्टल …
प्रधानमंत्री के नाम चिट्ठी - पी. चिदंबरम प्रिय प्रधानमंत्री महोदय, मैं एक मामूली नागरिक हूं। एक मामूली परिवार से आता हूं, मामूली पढ़…
ठंडा गोश्त -सआदत हसन मंटो ईश्वरसिंह ज्यों ही होटल के कमरे में दांखिला हुआ, कुलवन्त कौर पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तेज आँखों से उस…
मेरी कविताएँ - अंजु अनु चौधरी गांधारी तुम आज भी जीवित हो जब भी आज किसी बेटे से कोई अपराध हो जाता है हर किसी की सोच में गां…
सामयिक सरस्वती शब्दों का उत्सव अप्रैल-जून 2015 प्रवेशांक ००००००००००००००००