" लो जान, हम तुमको पकाने फिर से आ गये... " कहते हुये राहिला की कत्थई आंखें हमेशा की तरह शरीर कौंध से भरी हुई थी. मैं सुबह की चाय लेकर बाल…
औद्योगिक क्षेत्र में चाहे चीन अन्य एशियाई देशों से कहीं अधिक उन्नति कर गया हो परन्तु उसकी सामाजिक संरचना अन्य विकासशील देशों से भिन्न नहीं है। कई म…
प्रेम की दुनिया का अंत क्या अंधेरे में ही होना हुआ हमारे झलक भर देखे बगैर उन बादलो के बीच चांद का उजाला जहां पूरता है आसमान ( ओना नो कोम…
डॉ० रूपा सिंह ऍम.फिल. पीएचडी (जे.एन.यू), डी.लिट. एसो० प्रोफ़ेसर (हिंदी) एसोसिएट आई.आई.ए.एस – राष्ट्रपति निवास, शिमला (2012-2015) चार पुस…
हमारे लेखन में पूर्वजों का लेखन इस तरह शामिल होता है जैसे हमारे मांस में हमारे द्वारा खाए गए जानवरों के मांस- बोर्हेस आप किसी ट्रैफिक जाम में त…
पंडित श्याम कृष्ण वर्मा दरअसल पंडित जवाहर लाल नेहरु या महापंडित राहुल साकृत्यायन की तरह जाति की तरह से ब्राह्मण नही थे। उन्हें पंडित की उपाधि उनके …
मैं, निर्भय निर्गुण गाने वाली गीताश्री, पत्रकारिता के जरिए दुनिया में ताक-झांक कर लेती हूं। ब्लाग से लेकर फेसबुक तक आवाजाही करती हूं। सपने देखती ह…
भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा आयोजित " काव्य संध्या" में गोपालदास नीरज
इन दिनों देश कहां जा रहा है। इसको लेकर बड़ी व्यापक चिंता हो रही लगती है। उन तबकों में भी, जिनमें देश अभी तक किसी तरह के जिक्र के काबिल नहीं माना जा…