पारदर्शी था किरणों का तल तक पहुँचना - रीता राम की कवितायेँ वादियाँ एक निमंत्रण पहाड़ों से घिरी झील प्रकृति का निमंत्रण बसा शहर चारो ओर …
सत्ता रचना से नहीं घबराती विचार से घबराती है राज्य बहुत सारे दबावों में वो खुद तो संरक्षशील है, लेकिन बहुत सारे उसे उकसाने वाले तत्व पैदा हो…
अपने इंटरव्यूज में प्रकाश झा कई बार कह चुके हैं कि उनकी फिल्म सत्याग्रह अन्ना के आंदोलन से प्रेरित नहीं है, लेकिन फिल्म देखते समय ये साफ़ महसूस होता…
समय से बात "निकट" ने 22 जून 2013 को अपने सात वर्ष पूरे किए. पत्रिका को बहुत स्नेह मिला. बहुत आलोचना हुई. राजेन्द्र यादव ने 'हं…
...सबसे उ़पर ‘रेप: डिस्कोर्स ऑफ पावर’ । फिर हिन्दी में चपला की लिखावट, ‘बलात्कार यानी बल से करना’ फिर कंकु की लिखावट, ‘क्या करना ।’ फिर चपला के बड़े…