तोड़ गए वादा छोड़ गए साथ ००००००००००००००००
पिछले दिनों सोशलमिडिया ख़ासकर ट्विटर पर एनडीटीवी को लेकर जिस तरह की बेलगाम बयानी (ट्वीटस्) हुई उसने सोशल मिडिया के गिरते स्तर के ऊपर उठते ग्रा…
माल्दा, मुसलमान और कुछ सवाल! - क़मर वहीद नक़वी माल्दा एक सवाल है मुसलमानों के लिए! बेहद गम्भीर और बड़ा सवाल. सवाल के भीतर कई …
दर्द को दोहराया नहीं जा सकता - सुशील उपाध्याय की कवितायेँ दुखती रग पर हाथ! दुखती रग पर रखे गए तुम्हारे हाथ को, अपना समझकर स्वी…
कविता और रेखाचित्र ~ अनुप्रिया अनुप्रिया सुपौल, बिहार कवियित्री, रेखा-चित्रकार संपर्क : श्री चैतन्य योग गली नंबर -27,फ्लैट न…
शहर की सुबह - इंदिरा दांगी रचना घर से दूध की थैलियाँ लेने निकली है। ऊँचाई-तराईनुमा बेढब इलाक़े में बने एलआईजी, एमआईजी, अपार्टमेंटों…
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से मेरा सामना - भरत तिवारी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से मेरा सामना पहली बार 2012 में हुआ. तब की बड़ी हसीन यादें हैं…
साहित्यक सर्वे में लापरवाही का “खेल’ ~ अनंत विजय आज से करीब सोलह साल पहले की बात है । दिल्ली के एक प्रतिष्ठित दैनिक में साहित्यिक पु…