भाग-3: सत्ता और पूँजी के संरक्षण में विकसित जमीन से विस्थापित कविता का कुलीनतंत्र — उमाशंकर सिंह परमार यह समय विज्ञापन और प्रचार और समझौतों …
साम्प्रदायिकता विरोध की एक अवधारणा है कि "हिन्दुत्व की बुराई करना" जो हिन्दुत्व की बुराई करेगा वही धर्मनिरपेक्ष है। यह उथली समझ है…
प्रखर युवा आलोचक उमाशंकर परमार की आलोचना में वह धार है जिसका वर्तमान (युवा) साहित्यकारों का पता ही नहीं था. अच्छी बात यह है कि वह तक़रीबन निर्मम…
अनिरुद्ध उमट का नया काव्य-संग्रह ‘तस्वीरों से जा चुके चेहरे’ — डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय कवि-कथाकार अनिरुद्ध उमट के नए काव्य-…
अनमैनेजेबिल का मैनेजमेण्ट : शुभम श्री की पुरस्कृत कविता — अर्चना वर्मा कविता के बने बनाये ढाँचे तो बीसवीं सदी में घुसने के साथ ही टूट …
नामवर विफलताएँ - 3 — अशोक वाजपेयी पढ़ें ! नामवर विफलताएँ - 1 नामवर जी ने कोई नई पत्रिका नहीं निकाली साहित्य के संस्थागत रूप की …