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तीन गज़लें - तीन रूप ( बचपन , जवानी और बुढ़ापा ) - प्राण शर्मा , यू .के
दो गज़लें - मूसा खान अशांत
दो गज़लें - प्राण शर्मा
हम से अब नादानियाँ होती नहीं - सोनरूपा विशाल
मणिका मोहिनी की तीन बेहतरीन गज़लें