उत्तर आधुनिक जगत की कहानियों में युवाओं में प्रेम का जो स्वरूप आया है वह अकादमिक जगत का है युवाओं का प्रथम प्रेम सबसे पहले महसूस कालेज या विश्वव…
राकेश बिहारी की ईमेल अभी-अभी मिली, पढ़ कर सकते में हूँ... तय नहीं कर पा रहा कि क्या कहूँ; बहरहाल मुझसे जो हो पाया किया... आगे आप-सब ही कहें या .....…
क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है? गुलज़ार दियारे शब में क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है ? किसी आशिक़ के आने की ख़बर है ? या को…
दस्तख़त शीरीं-फ़रहाद, लैला-मजनू, जसमा-ओडन, देवदास-पारो आदि, त्याग, मृत्यु और समर्पण की लोमहर्षक कृतिया…
इस बात को ज़्यादा वक्त नहीं हुआ, जब भारत के अधिसंख्य नगरों में यातायात के साधन इक्के और ताँगे और बाइसिकल ही हुआ करते थे। उससे भी पहले घोड़ों और हाथ…
मैं नीचे चल के रहता हूं.... जनाज़ा गुलज़ार मैं नीचे चल के रहता हूं ज़मीं के पास ही रहने दो मुझ को मुझे घर से उठाने में बड़ी आसानी होगी …
एक सफल कहानी से शुरआत करने पर महेन्द्र को हार्दिक बधाई, महेंद्र को इस कहानी के नया ज्ञानोदय में प्रकाशित होने की भी बधाई... अच्छा होता कि कहानी कु…