रवीन्द्र कालिया, शुद्धतावाद के विशुद्ध विरोधी - अशोक चक्रधर दायें से रवींद्र कालिया, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, मधु गोस्वामी और अशोक …
सम विषम दिल — अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! सम और विसम के चक्कर में दिल्ली के दिल कौ का हाल ऐ? —दिल में सम-विषम संख्याएं नहीं होतीं…
ऑक्सफ़ोर्ड पर गूंजेगी चम्पू की वाणी भरत तिवारी ये बड़ी ख़ुशी है ! ऑक्सफ़ोर्ड बुक स्टोर्स पर हिंदी किताबों का मिलना सचमुच ही एक सुखद घटना है... बड़…
चौं रे चम्पू यादों के खट्टे-मीठे फल अशोक चक्रधर हिन्दी हमारे देश में बैकफुट पर रहती है, कभी अपने आपको बलपूर्वक आगे खड़ा नहीं करती। …
चौं रे चम्पू भैंस का एक कान गया अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! बजट में किसानन के तांईं कछू नायं कियौ का? —किया है, लेकिन दूसर…
चौं रे चम्पू गरीबी रेखा या रोटी रेखा अशोक चक्रधर Amazon.in Widgets —चौं रे चम्पू! गरीबी की बहस कहां तक पौंहची? —अभी तो परिभाषाएं …