Photo credit: Monia Merlo (https://www.thegreengallery.com/en/issue-1/portfolio) साकुरा, मुझे फिर बुलाओ, मेरे पास आओ, एक अदृश्य चुंबन दो मुझे, …
इरफ़ान ख़ान पर लिखा, विविध भारती के उद्घोषक, फिल्मों के गहरे जानकार, लेखक यूनस ख़ान का यह लेख इरफ़ान ख़ान की जीवनी तो नहीं है, लेकिन अब तक…
आज के इस संस्मरण के साथ विनोद जी ने कहा है कि यह अंतिम कड़ी है। मैं संस्मरण का घोर प्रेमी हूँ, मानता हूँ कि संस्मरण हमें वह बातें समझाते हैं…
रोम की यादें — विनोद भारद्वाज संस्मरणनामा न जाने क्या बात है इटली की स्त्रियाँ बहुत आसानी से मेरी दोस्त बन जाती हैं, उन्होंने मुझे इ…
कुबेर दत्त और पीने की कुछ अन्य यादें — विनोद भारद्वाज संस्मरणनामा मेक्सिको की चर्चित चितेरी फ्रीडा काल्हो ने कहा था, मैंने अपने दुख दर्द…
विनोद जी लेखन में इतने बहुत वरिष्ठ हैं, उन्होंने इतना देखा लिखा है, इसलिए, यह तो नहीं कह सकता कि उनके संस्मरणों में निखार आ रहा है. लेकिन, …