मृदुला गर्ग जी का आज (25/10/21) जन्मदिन है। उन्हें ढेरों शुभकामनाएं। आनंद लीजिए उनके संस्मरण 'बल्ब वाले सरदारजी' के इस अंश का, जिसमें वह लिख…
किसी एक व्यक्ति के सुख से न तो खेतों में हरियाली छा जाती है, न उसके दुख के ताप से खेत, नदियां तालाब सूख जाते हैं। जब मन में पीड़ा का आलोड़न हिलोरें ले…
हमने हर तरह की बातें की पर रचना का ज़िक्र छिड़ने पर पंडिताई पर नहीं उतरे; ख़ुशदिल रचनाकार बने रहे। सफ़र में ऐसे लोगों का साथ सुकूनदेह होता है, अपने कहे …
नाटक तो भावनाओं का खेल है – इब्राहिम अल्काज़ी – रवीन्द्र त्रिपाठी
इस आखिरी किस्त के साथ विनोद भारद्वाज जी की किताब यादनामा पूरी हो गयी है। इसका उप-नाम है, लॉकडाउन डायरी, कुछ नोट्स, कुछ यादें । जल्दी ही किताब भी स…
विनोद जी अपने संस्मरणों में, इसके पिछले लेखन (जापान वाले 'साकुरा की यादें') से, खूबसूरत कवि-से हो गए हैं! उनके इस सौन्दर्य भरे परिवर्तन से उ…