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जब यादें जेल के बन्द फाटक से रिहा होती हैं तो क़तार से नहीं, लस्टम पस्टम बाहर भागती हैं ~ मृदुला गर्ग | Mridula Garg — Memoire: Khushwant Singh — Part 4 (last)
नहीं! मैं सहमत नहीं हूँ। ... संस्मरण अंश 3 | Mridula Garg — Memoire: Khushwant Singh — Part 3
मृदुला गर्ग — अजब-गज़ब मर्द थे खुशवंत सिंह — संस्मरण अंश 2 | Mridula Garg — Memoire: Khushwant Singh — Part 2
मृदुला गर्ग — वे नायाब औरतें — विदेश की निराली सहेलियाँ और बल्ब वाले सरदारजी  — संस्मरण अंश 1 | Mridula Garg — Memoire: Khushwant Singh — Part 1
Hindi Story on Depression: बेनियाज़ मियाद के पार — मृदुला गर्ग की कहानी