अरुंधति रॉय इन हिंदी — स्वतंत्र किन्तु जाति व्यवस्था में आकंठ डूबा भारत राष्ट्र — एक था डॉक्टर एक था संत कि क्याक्या गाँधी नही थे और क…
Photo (c) Krishna Sobti कृष्णा सोबतीजी की "मार्फ़त दिल्ली" पढ़ रहा हूँ. मैं, साहित्य आदतन तोड़ा धीरे-धीरे ही पढ़ता हूँ. और तब तो …
अनुभवों का विशद फलक कल अपराह्न तीन बजे विश्व पुस्तक मेले में श्री शिवरतन थानवी की नई किताब ' जग दर्शन का मेला ' का लोकार्पण…
Photographs and Report 68th Rajkamal Prakashan Foundation Day 28 फरवरी को कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राजकमल प्रकाशन ने अपना 68वां स्…
अनुराधा बेनीवाल की किताब ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ को राजकमल सृजनात्मक गद्य सम्मान The headline of the Article description 28 फ़…
रामकुमार सिंह के उपन्यास ‘जेड प्लस’ का अंश "ज़ेड प्लस सिनेमा और साहित्य की दूरियों को पाटने का काम करेगी। इसकी भाषा पठनीय है। यह …
कितना आसान होता है - किसी कहानी को दौड़ते-हुए पढ़ जाना और फिर उसे खारिज़ या बहुत-अच्छी-कहानी कह देना. वादा कीजिये - कहानी को भागते-भूगते नहीं पढ़ेंग…