चौं रे चम्पू सान्निध्य बनाम सहभागिता —अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! उड़ौ ई फिर रह्यौ ऐ? पिछले हफ्ता कहां-कहां डोलि आयौ? —चचा, इस सप्ताह…
सत्य ही शिव है और यह जो "आजतक" के ही दीपक शर्मा कह गए … ओम थानवी एक आदमी जो आपनी सादगी के लिए हमारे चैनल में जाना जाता हो, आज मीडिया …
लघुकथा बाल मजदूरन - शोभा रस्तोगी “हैं ! मेड रख ली तूने ? उम्र क्या है ?” “बारह। यार, छोटे मोटे सौ काम खड़े रहते हैं। किसी को पानी, किसी को …
राग देश जय हो ठोकतंत्र की, जय श्री इलेक्शन! - क़मर वहीद नक़वी अब ललकार, हुँकार, दहाड़, फुफकार का ज़माना है, गरम ख़ून चाहिए, जो बात-बात पर …
कथादेश और सर्नुनोस का सहयोगी उपक्रम हिन्दी की रहस्य-कल्पना कथा-प्रतियोगिता कथा-प्रविष्टियों के लिये आमन्त्रण प्रतियोगिता अमरीकी लेखक…
युवा से युवतर होते रचनाकारों के उपन्यास का आकार भी छोटा होता जा रहा है जबकि इसके विपरीत कहानियों का औसत आकार बढ़ रहा है । कहानी का आकार क्यों बढ़ रह…
Sahitya Akademi cordially invites you all to its FESTIVAL OF LETTERS 2014 (10-15 March 2014) साहित्य अकादमी में आपको सादर आमंत्रित करत…
ठेस - प्राण शर्मा दस-ग्यारह साल का भारतीय मूल का लड़का बस से उतरा ही था कि लगभग उसीकी उम्र के दो आयरिश लड़के उससे भिड़ गये। आँखें तरेर कर बोले -”…