आँखों में नमी है जी अजीब सा हो रहा है कई दफ़ा इसे सुन चुका - पहली ही बार में अनवर मक़सूद के बोलों ने मजबूर कर दिया, कि उन्हें लि…
ह्म्म्म ज़ियादातर लोग कहेंगे कि – पता है... जब तक हम यह नहीं जान लेते कि सब एक ही हैं; इस ‘सब’ में आप से लेकर ‘ब्लैक होल’ तक शामिल हैं, तबतक ह…
दो भाइयों की लड़ाई ~ दिव्यचक्षु मध्यांतर के पहले वाला हिस्सा बहुत धीमी गति से चलता है लेकिन बाद वाला हिस्सा रोमांच से भरा है और `आगे क्या हो…
गुलज़ार ... ग़ज़ल Photo: Bharat Tiwari दिखाई देते हैं, धुन्ध में अब भी साये कोई मगर बुलाने से वक़्त लौटे न आये कोई …
जावेद अख़्तर और मैं ~ असग़र वजाहत की यादें कुछ साल पहले की बात है जावेद अख़्तर और मैं पटना एयरपोर्ट पर बैठे फ्लाईट का इंतज़ार कर रहे थे। हम प…
मेरी पसंद/गीताश्री कविता की कहानी... ~ गीताश्री नदी जो अब भी बहती है... दर्द का दरिया जो अब भी बहता है... मेरी कुछ मान्यताए…
ये कैसी कॉमेडी - बैंगिस्तान आप `शोले’ बनाने चलें और बन जाए `राम गोपाल वर्मा की आग’ निर्देशक - करण अंशुमान कलाकार - रितेश देशमुख, पु…
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका 'वर्तमान साहित्य' अगस्त, 2015 - आवरण व अनुक्रमणिका आवरण के छायाकार दिल…
क्लॉड इथरली ~ मुक्तिबोध मैं सड़क पार कर लेता हूँ। जंगली, बेमहक लेकिन खूबसूरत विदेशी फूलों के नीचे ठहर-सा जाता हूँ कि जो फूल, भीत के पासवाल…