Jeevan kya Jiya - 3 Namvar Singh जीवन क्या जिया! ( आत्मकथा नामवर सिंह बक़लम ख़ुद का अंश) अजीब बात है कि लोगों को दुख की बातें, अपमा…
मैंने कभी अपने गुरुदेव हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा था, ”सबसे बड़ा दुख क्या है?“ बोले, ”न समझा जाना।“ और सबसे बड़ा सुख? मैंने पूछा। फिर बोले, ”ठ…
मैंने कभी अपने गुरुदेव हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा था, ”सबसे बड़ा दुख क्या है?“ बोले, ”न समझा जाना।“ और सबसे बड़ा सुख? मैंने पूछा। फिर बोले, ”ठ…
जब मैं बनारस में था तब भी मैंने नहीं जाना कि राशन की दुकान कौन सी है, सब्जी कहां मिलती है, कैसे घर का खर्च चलता है। सारा का सारा काम काशी करते …
Namvar hone ka arth : Alochana ka Vatvriksh Swapnil Srivastava नामवर होने का अर्थ: आलोचना का वटवृक्ष स्वप्निल श्रीवास्तव उनके …
मीडिया तुम्हे शर्म नहीं आयी ! - भरत तिवारी मीडिया ! तुमनेे सुर्खियाँ बटोरने वाली हेडलाइन लिखी है मीडिया तुम्हे शर्म नहीं आयी? अस्सी…
डॉ. नामवर सिंह अपना सिर पकड़ कर बैठ गए और बोले कि आप लोग किसी शरीफ आदमी के यहां जाने लायक नहीं हैं। आप लोग क्षमायाचना कीजिए। और क्षमायाचना …
कहाँ है स्त्री भाषा शब्दांकन गत वर्ष की तरह विश्व पुस्तक मेले में ‘शब्दांकन’ को ‘राष्ट्रीय पुस्तक न्यास’ ने ‘साहित्य मंच’ पर स्थान दिया जिसम…
विचारिए साहित्यकार का अकेलापन अनंत विजय राजेन्द्र यादव की पहली पुण्य तिथि पर हुए आयोजन में तीस पैंतीस लोगों का जुटना वरिष्ठ लेखकों के प्रति …
संवाद आलोचना के जोखिम नामवर सिंह से कवि केदारनाथ सिंह की बातचीत Risks of Criticism Namvar Singh in Conversation with Poet Kedarnath S…