जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदी व पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर रह चुके, हिंदुस्तान की कई पीढ़ियों को हास्य-व्यंग्य से परिचित कराने वाले अशोक…
रणवीर ने निर्देशक-दृष्टि से अभिनय किया और वह संजू के अंदर के दस-बीस आदमियों के अंदर सफलता से चला गया —अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! च…
भाषाएं कैसे क़रीब आएंगी ― अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू एक जान दो ज़बान —अशोक चक्रधर …
चौं रे चम्पू! —अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! बिस्व हिन्दी दिवस के भौत कारकिरम है रए हुंगे आज? …
करी ख़ुदकशी युवा कृषक ने, रुदन भरी तेरहवीं, पंच मौन थे ग्राम-सभा के, हुई न गहमागहमी। देना मोल फसल का सारा। प्यारे, तेरह प…
चौं रे चम्पू! —अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! नए साल ते का उम्मीद ऐ तेरी? साल तो पलक झपकते बी…
बिल्लियो मूंछें झुकाओ! — अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! सराबबंदी ते कोई असर परौ? हर पाबंदी, …
उन कुंठाहीन हिंदी-कर्मी द्विभाषी या त्रिभाषी बालकों और युवाओं का अभिनंदन करता हूं जो हिंदी के सारथी हैं — अशोक चक्रधर हिंदी-सेवी या हिंदी-कर…