बिल्लियो मूंछें झुकाओ! — अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! सराबबंदी ते कोई असर परौ? हर पाबंदी, …
साहित्यकारों में फैले अजनबीपन, अकेलेपन, आत्म-निर्वासन, अवसाद, आत्म-संघर्ष, वर्ग-संघर्ष, चिड़चिड़ेपन और गाली-गलौज आदि सब व्याधियों से मुक्ति दिल…
दी और दा हिंदी में एक ऐसा ‘लिटररी स्फीयर’ बनाते हैं कि उसकी फॉर्म कुछ होती है, और कंटेंट कुछ और होता है 😂 — सुधीश पचौरी …
साहित्य विरोध कुलभूषण — सुधीश पचौरी जिस साहित्यकार का कोई नाम लेवा, पानी देवा नहीं होता, ये हमलावर उसे इतना बड़ा बनवा द…
अगर आप अपने राष्ट्र से प्रेम करते हैं तो यह जरूर देखें Kunal Kamra शब्दांकन Shabdankan ▲▲ लाइक कीजिये अ…
रघुवंशमणि का पैना व्यंग्य ! राष्ट्रधर्म -रघुवंशमणि (राज)नीति कथाएं …
अतिथि! तुम कब जाओगे शरद जोशी तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से न…
...आपका घोड़ा ऐंड़ता हुआ पड़ौसी के खेत में चराई करने लगे तब तो दूसरे की आज़ादी का हनन हो जाएगा। अपने घोड़े को अस्तबल में बांधकर नहीं रखा तो पड़ौसी आप…