अब क्या होगा रवीश कुमार दिल्ली के नतीजे आ गए हैं । कोई नहीं जीता है यहाँ । मगर कोई साहस नहीं कर पा रहा है कि राजनीति की व्यावहारिकताओं के नाम …
पिछले दिनों मैत्रेयी जी ने अपने एक लेख में ( लिंक ) समकालीन महिला कहानीकारो की खूब लानत मलामत की थी। उनकी उम्र और उनके लेखन को लेकर व्यक्तिगत टिपण्ण…
संदीप कुमार की इन उम्दा भावों वाली कविताओं को पढ़ कर, ना सिर्फ़ कविता को पसंद करने वाले प्रसन्न होंगे बल्कि जिन्हें कविताओं मे…
Bhasha, Last Updated: दिसम्बर 5, 2013 10:00 PM IST यूरोपियन पार्लियामेंट के एक सेमिनार में तसलीमा नसरीन . लखनऊ/कोलकाता: महिलाओं के खिलाफ फतव…
डेनिस मुकवेगे - विश्व की रेप-राजधानी का डॉक्टर अंजुम शर्मा हाल ही में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ‘डेनिस मुकवेगे’ का नाम दूसरी बार नामांकित क…
हार जायें या हवा हो जायें या जीत जायें । इन तीनों स्थितियों को छोड़ दें तो अरविंद केजरीवाल ने राजनीति को बदलने का साहसिक प्रयास तो किया ही । हममें स…
इस बात को ज़्यादा वक्त नहीं हुआ, जब भारत के अधिसंख्य नगरों में यातायात के साधन इक्के और ताँगे और बाइसिकल ही हुआ करते थे। उससे भी पहले घोड़ों और हाथ…
हंस – एक अंजुमन जिसमे जाना था बारबार रवींद्र त्रिपाठी राजेंद्र यादव के बारे में कहां से बात शुरू करूं? शुरू से शुरू करूं या अंत से? शुरुआत तो …
पूर्वकथनः दिसंबर का मतलब साल का अंत, खत्म हो जाने का महीना। लेकिन इसके पहले ही कुछ ‘अंतों’ ने मुझे अंतहीन यंत्रणा के हवाले कर दिया। मन्ना डे, राजें…