यादें ज़रूर जिंदा रहती हैं पर चेहरे पहचान में नहीं आते क्योंकि उन पर उम्र की लकीरें चढ़ जाती हैं और वो पहचाने न जाने की हद तक बदल जाते हैं। …
कृष्णा सोबती 'नए साल की देहरी पर' जनसत्ता 1 जनवरी 2013: साल के पहले दिन, जनसत्ता के मुखपृष्ठ पर, हम-स…
बाजों के फिर मुंह लगा ,इक चिडिया का खून | लेकिन पूरे देश में ,जागा एक जुनून || फिर चिड़िया की ज़िन्दगी ,लूट ले गए बाज | पहरेदारों को मगर , जरा …
कि सुखनवरों का खून क्यूँ कर ठण्डा हो गया है दर्द अंगड़ाई नहीं लेता ये क्या हो गया है ? क़त्ल या हो कोई बे-आबरू तुम्हें क्या मतलब ? ए खुदा तू ही…
किस हद्द तक राजनीति ग्रसित लोगों के बीच आज का अवाम रह रहा है. हमें लगता रहा कि कद्दावर नेताओं से शुरू हो कर, बीच में धार्मिक आदि रास्तों से हो क…
चिड़ियाँ खुले आसमान में चिडियों का एक झुंड इठला रहा था. मस्ती में उड़ान भरती चिडियों के मन में उमंगें थीं कि, 'मैं उस आसमान को छुऊँगी&…
मणिका मोहिनी एक प्रसिद्ध कहानीकार और कवयित्री है । कविता-कहानी की 15 पुस्तकें प्रकाशित, कुछ वर्षों तक ' वैचारिकी संकलन ' हिन्दी मासिक का…
हे मिंग्वे ने लिखा है- ‘जीवन के बारे में लिखने के लिए जीवन को जीना जरूरी होता है.’ वर्तमान समय में जो रचनाएं आ रही हैं, वे जीवन के किस रूप से ज…