सिनेमा के सौ साल पूरे होने की ख़ुशी में हो रहे आयोजनों में हिंदी पत्र पत्रिकाएं भी अपनी जिम्मेवारी से दूर नहीं हैं, हाँ कुछ पत्रिकाओं ने इस…
बीते दिनों राजधानी के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में राजेन्द्र यादव जी के लेखों के नए संकलन है 'वे हमें बदल रहे हैं ...…
नई दिल्ली, 18 फरवरी। सुपरिचित कवि और आलोचक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को सोमवार को यहां सर्वसम्मति से साहित्य अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया। वे अका…
"हेलो मैं मेघा बोल रही हूँ" "अरे तुम फोन पर क्यों बात कर रही? मैं तो घर के बाहर ही खड़ा हूँ" "पर मैं घर के भीतर नहीं हूँ…
नहीं चाहिए अब तुम्हारे झूठे आश्वासन मेरे घर के आँगन में फूल नहीं खिला सकते चाँद नहीं उगा सकते मेरे घर की दीवार की ईंट भी नहीं बन सकते अब …
चोका - 1 तुम्हारी याद की ओस में भीगी मैं या बादलों का पसीना भिगो गया रही मैं प्यासी तू बन जा नदिया हुई मैं रेत तेरा दिल फिसला हूँ हवा न…
‘पथेर पांचाली’ (1955) से लेकर ‘आगंतुक’ (1991) तक सत्यजित राय ने पूरे छत्तीस वर्ष काम किया और छत्तीस फिल्में बनाईं. यानी हर साल एक फिल्म. मगर औ…
दिव्या शुक्ला जन्मस्थान: प्रतापगढ़ निवास: लखनऊ रूचि: मन के भावो को पन्नो पर उतारना कुछ पढना ,कभी लिखना सामाजिक कार्यों में योगदान अपनी …