हमें रोकना है लेकिन क्या रोकना है ? ~ अनुपमा तिवाड़ी अब सत्ता की जय – जय गाने वाले तो बेचारे दया के पात्र हैं जो राजा की जय – जयकार गा कर ह…
लेखकीय असहिष्णुता पर सवाल ~ अनंत विजय आलोचनात्मक टिप्पणी करनेवाले और रचनाकार के बीच बातचीत बंद हो जाना तो आम बात है …
Meeting in memory of Rajendra Yadav Ji October 28, 2015, Sahitya Akademi Sabhagar 28 अक्टूबर, साहित्य अकादमी सभागार, शाम 5 बजे। आप सब …
शमशाद हुसेन शुरू में अंग्रेजी कम बोल पाने की हीन भावना पर बोले, बताया कि किशोरावस्था में गुंडागर्दी भी करता था ~ विनोद भारदवाज शमशाद हुस…
Is Sahitya Akademi President Under Pressure ? अराजकता का लाइसेंस नहीं स्वायत्ता ~ अनंत विजय साहित्य अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठ…
बची हो जो गर थोड़ी ग़ैरत एक ग़ज़ल - भरत तिवारी न इंसानियत का निशाँ ही बचेगा न काबा न मंदिर न गिरजा बचेगा बची हो जो गर थोड़ी ग़ैरत …
कलबुर्गी रेसोल्यूशन भारतीय संस्कृति का बहुलतावाद बाकी दुनिया के लिए अनुकरणीय - विश्वनाथ प्रसाद तिवारी प्रस्ताव साहित्य अकादे…
Kalburgi Resolution Maintain the ambience of peaceful coexistence in the societies Sahitya Akademi to Center and States Take Immed…