...आपका घोड़ा ऐंड़ता हुआ पड़ौसी के खेत में चराई करने लगे तब तो दूसरे की आज़ादी का हनन हो जाएगा। अपने घोड़े को अस्तबल में बांधकर नहीं रखा तो पड़ौसी आप…
अर्धसजीव धरती की अरदास —अशोक चक्रधर चौं रे चम्पू! धरम एक अफ़ीम ऐ, जे बात कौन्नैं कही? कही तो मार्क्स ने थी, लेकिन बात…
मामला हार-जीत का है ही नहीं। स्त्री द्वारा पुरुष के सामने अपने अस्तित्व की रक्षा करने का है — अशोक चक्रधर — चौं रे चम्पू! औरत सनी द…
मौन की राष्ट्रभाषा —अशोक चक्रधर मीडिया शाश्वत सजीव पेटू है, जिसे चौबीस घंटे भोजन चाहिए — चौं रे चम्पू! हरियाना और जेएनयू पै इत…
रवीन्द्र कालिया, शुद्धतावाद के विशुद्ध विरोधी - अशोक चक्रधर दायें से रवींद्र कालिया, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, मधु गोस्वामी और अशोक …
सम विषम दिल — अशोक चक्रधर —चौं रे चम्पू! सम और विसम के चक्कर में दिल्ली के दिल कौ का हाल ऐ? —दिल में सम-विषम संख्याएं नहीं होतीं…
ऑक्सफ़ोर्ड पर गूंजेगी चम्पू की वाणी भरत तिवारी ये बड़ी ख़ुशी है ! ऑक्सफ़ोर्ड बुक स्टोर्स पर हिंदी किताबों का मिलना सचमुच ही एक सुखद घटना है... बड़…
चौं रे चम्पू यादों के खट्टे-मीठे फल अशोक चक्रधर हिन्दी हमारे देश में बैकफुट पर रहती है, कभी अपने आपको बलपूर्वक आगे खड़ा नहीं करती। …