बची हो जो गर थोड़ी ग़ैरत एक ग़ज़ल - भरत तिवारी न इंसानियत का निशाँ ही बचेगा न काबा न मंदिर न गिरजा बचेगा बची हो जो गर थोड़ी ग़ैरत …
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं ~ फ़िराक़ गोरखपुरी बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं तुझे ए ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान…
राजेन्द्र जी के लिए - भरत तिवारी तूम वो मिट्टी हो, बने भगवान जिससे होते हों पूरे कठिन अरमान जिससे भूलना पड़ता ह…
गुलज़ार ... ग़ज़ल Photo: Bharat Tiwari दिखाई देते हैं, धुन्ध में अब भी साये कोई मगर बुलाने से वक़्त लौटे न आये कोई …
सुरेन्द्र राजन ~ असग़र वजाहत की यादें सुरेन्द्र राजन को कौन नहीं जानता. जिसे फिल्म, कला और साहित्य में गंभीर दिलचस्पी होगी वह राजन जी को न …
मुईन अहसान 'जज़्बी' ~ असग़र वजाहत की यादें मुईन अहसान 'जज़्बी' उर्दू के मशहूर आधुनिक शायरों में थे. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद…
चार ग़ज़लें ~ प्राण शर्मा खामियाँ सबकी गिनाना दोस्तो आसान है / खामियाँ अपने गिनाना दोस्तो आसां नहीं परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसां …
ग़ज़लें ~ प्रताप सोमवंशी प्रताप सोमवंशी को कुछ रोज़ पहले एक मुशायरे में सुना, उनकी ग़ज़लों के एक-एक शेर पर वाह निकलती रही, आप ख़ुद देखें... …