मुझे हमेशा लगता रहा है कि हम जितना दूसरों के अनुभवों को समझकर जानकार बनते हैं, उतनी आसानी से और किसी तरह नहीं। खुश हूँ कि गीताश्री ने अपनी यादों को …
वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग ने यहाँ जो अनुभव साझा किया है वह सच में हौलनाक है। नुसरत ग्वालियारी का शेर याद आया - "रात के लम्हात ख़ून…
मंजुल भगत जी की आज 22 जून 2022, को 86वीं जयंती है। उन्हे नमन और उनकी छोटी बहन, हमसबकी प्रिय मृदला गर्ग का शुक्रिया कि उन्होंने मंजुल भगत जी का यह बे…
खीसे निपोरते सरदारों को सीख देना मुझे बख़ूबी आता था। मैंने चुपचाप अपने पड़ोसी सरदार के सामने से (पता नहीं बल्ब वाले (खुशवंत सिंह) थे या बिना बल्ब वाले…
स्मृति: मन्नू भंडारी 1931-2021 ~ ममता कालिया
जैसे-जैसे मृदुलाजी के इन संस्मरणों को पढ़ता जाता हूँ, उनके, हिन्दी साहित्य की स्त्रियों के प्रति सम्मान बढ़ता है। भारत की महिलाओं को 'स्त्री विमर्…