तीन फिल्मों की समीक्षायें: फैंटम / बांके की क्रेजी बारात / कौन कितने पानी में फैंटम निर्देशक - कबीर खान कलाकार -सैफ अली खान, …
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 9, सितम्बर, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति न…
राजेन्द्र यादव का सहारा लेकर बहुतों ने यश कमाया ~ रचना यादव राजेन्द्र जी के जन्मदिन पर फेसबुक पर अपना बयान लिखते समय मैत्रेयी जी को शायद रच…
कहीं ऐसा तो नहीं कि युवा कहकर युवाओं से जुड़ने की जुगत में लेखक खुद को या आयोजक लेखक को या आलोचक लेखक को युवा घोषित कर देता है ? ~ अनंत विजय …
कई पार्टियों का दलाल तो बता ही दिया गया हूँ फिर भी उन्हीं बताने वालों को मुझी से उम्मीद रहती है कि सभी मुद्दों पर चर्चा कर या स्टेटस लिखकर पत्र…
साहित्य स्पांटेनियटि का गेम है स्पांसरशिप का नहीं - राजेन्द्र यादव आज अगर समकालीन हिंदी साहित्य के परिदृश्य में एक अजीब तरह का ठंडापन और वै…
छोटे-छोटे ताजमहल ~ राजेन्द्र यादव 'चार-पाँच साल हो गए होंगे उस बात को... ‘ उसके मन के भीतरी स्तरों पर पत्र चलता रहा। वह बात न मीरा…
राजेन्द्र जी के लिए - भरत तिवारी तूम वो मिट्टी हो, बने भगवान जिससे होते हों पूरे कठिन अरमान जिससे भूलना पड़ता ह…
राजेन्द्रजी अपने दुर्भाग्य से और हम लोगों के सौभाग्य से दिवंगत हुए हैं - सुशील सिद्धार्थ ००००००००००००००००
जब तक यह व्यक्ति जीवित है... रूपसिंह चन्देल संस्मरण राजेन्द्र यादव और रूप सिंह चंदेल की यादें अप्रैल ०४,१९८७... शनिवार का दिन। …
एक पहाड़तोड़ की शौर्यकथा और प्रेमगाथा ~ दिव्यचक्षु माझी - द माउंटेन मैंन निर्देशक - केतन मेहता कलाकार - नवाजउद्दीन सिद्दिकी, रा…