भिखारी और वितृष्णा के भाव का अजीब साथ होता है। चोली-दामन का साथ। कभी -कभी दया का कोई उड़ता हुआ छींटा उन पर गिर जाता है किन्तु अक्सर... रिया …
मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए डॉ. एल.जे भागिया ‘ख़ामोश’ की ग़ज़ल मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए…
समीक्षा: इरा टाक दिल ढूंढता है – उपन्यास | लेखक - राकेश मढोतरा सपनों और हकीकत की कश्ती में सवार हर इंसान जीवन के समंदर में इधर से उधर ड…
छोटी कहानी में 'बड़े' मानवीय रिश्तों और मूल्यों को आधुनिक-आवश्यक-सामाजिक बदलावों की महत्ता दिखाते हुए कह पाना और साथ में कहानीपन का ब…
IGNCA आइये बुधवार को अन्य कार्यक्रमों के अलावा इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र की हरियाली को हिन्दी के चर्चित गायक मोहित चौहान अपने गीतो…
‘‘अम्मा भूख लगी है !’’ ‘‘अभी तो खाई थी रोटी घण्टा भर पहले !’’ दीपा चुप है किसी गुनहगार की तरह; लेकिन उसकी रिरियाती दृष्टि में भूख़ साक्षात् …
प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ढूँढो अँधेरे कोनों से बाहर निकलो और आवाज़ बुलन्द करो — हमें यह मंज़ूर नहीं — शबनम हाश्मी …
अभिसार लिख रहे हैं, लगातार बोल रहे हैं, मगर क्या आप उन्हें पढ़, समझ भी रहे हैं? अपनी अक्ल को ख़ुद ठिकाने लगाना अक्लमंदी होती है साहब, यह रहा उन…
केला गणराज्य भारत वाकई एक केला गणराज्य बनने की ओर अग्रसर है। केला गणराज्य? यानी कि, ये क्या होता है जी ? दरअसल आज से कई साल पहले बीबीस…
किसे होना चाहिये आपका आदर्श? — प्रज्ञा कहानी को कहानी रहने दीजिये, स्त्री का आत्मसम्मान, उसका आदर्श इससे कहीं ज्यादा ऊंचा है। …
इंडिया टुडे साहित्य वार्षिकी में प्रकाशित आंकाक्षा पारे की कहानी नीम हकीम रक्कू भैया का कहा ब्रहृम वाक्य। ऐसे कैसे टाल दें। तीन दिन…