विनोद भारद्वाज जी अपने बहुचर्चित स्तंभ 'संस्मरणनामा' में इस दफ़ा केदारनाथ सिंह जी की यादें हम सब से साझा कर रहे हैं...
हिंदी साहित्य को धकियाती क्षेत्रीय, जातीय, नस्ली, स्त्री बनाम पुरुष, कविता कि कहानी तिस पर लेखन बनाम फेसबुक राजनीति से परे भी हैं कुछ लोग…
अचला बंसल अंग्रेज़ी साहित्य की सम्मानित भारतीय लेखक हैं. अंग्रेज़ी के साथ-साथ वह यदाकदा हिंदी कहानियाँ भी लिखती रही हैं. "चौथा कौन?"…
अनामिका के नए उपन्यास आईनासाज़ की इस समीक्षा में सुनीता गुप्ता लिखती हैं कि "अनामिका के यहां प्रतिरोध की वह मुखर प्रतिध्वनि नहीं मिलती जो स्त…
'बुकमार्क्स' कहानी पढ़िए । शालू 'अनंत' दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद अब 'हाशियावाद' पर पीएचडी कर रही हैं …
कहानियों की भीड़भाड़ और धक्कामुक्की के बीच हम उन कहानियों को न भूल जाएँ जो कथा के मूल-सी हैं । ऐसी ही एक कहानी है शिवप्रसाद सिंह की ' दादी…
संपादक, कहानीकार अशोक मिश्र की कहानी 'बुद्धिराम @ पत्रकारिता डॉट कॉम' 2011 में परिकथा के युवा लेखन विशेषांक में प्रकाशित हुई थी. प…
नक्सलवाद की समस्या लिखते एवं समाधान तलाशते अमरेंद्र किशोर की आगामी पुस्तक "ये माताएं अनब्याही हैं" के हर अंश को आप कम से कम पढ़ते ज़…
युवा शायर अभिषेक कुमार अम्बर पाँच ग़ज़लों का आनंद उठाइए. मुझको रोज़ाना नए ख़्वाब दिखाने वाले। बेवफ़ा कहते हैं तुझको ये …
फ़िलहाल, 'दिनमान की यादें' की आखिरी कड़ी में दिनमान की बातें लिखते हुए विनोद भारद्वाज जी कहते हैं "अज्ञेय और रघुवीर सहाय ने ज…