सोनमछरी: दैहिक प्रेम पर निःस्वार्थ प्रेम की जीत - सुशील कुमार भारद्वाज स्त्री अस्मिता के अनछुए पहलुओं पर बेबाकी से लिखने वालों में गीत…
‘रंग राची’ के बहाने स्त्री संघर्ष की दास्तां ~ शशांक मिश्र भारतीय परिप्रेक्ष्य में ऐतिहासिक और साहित्यिक रूप से मध्यकाल का बहुत महत्व …
दो भाइयों की लड़ाई ~ दिव्यचक्षु मध्यांतर के पहले वाला हिस्सा बहुत धीमी गति से चलता है लेकिन बाद वाला हिस्सा रोमांच से भरा है और `आगे क्या हो…
गुनाह है पर गुनहगार कौन? ~ दिव्यचक्षु ये एक पारिवारिक ड्रामा है लेकिन थोड़ा अलग किस्म का। इसमें थ्रिलर के तत्व भी हैं निर्देशक - निशि…
ईद मिलन पर भारत-पाक मिलन का संदेश ~ बजरंगी भाईजान फिल्म समीक्षा निर्देशक - कबीर खान कलाकार - सलमान खान, करीना कपूर खान, हर्षाली म…
'वर्तमान साहित्य' जुलाई, 2015 साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 7 जुलाई, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया …
बेजुबान इश्क / फिल्म समीक्षा Bezubaan Ishq / Review ~ दिव्यचक्षु निर्देशक -जसवंत गंगानी कलाकार - स्नेहा उल्लाल, मुग्धा गोडसे, निशांत…
गुड्डू रंगीला / फिल्म समीक्षा Guddu Rangeela / Review खाप की खाट ~ दिव्यचक्षु निर्देशक -सुभाष कपूर कलाकार - अरशद वारसी. अमित साध, अदिति…
युवा / Movie Review: Uvaa ~ दिव्यचक्षु फिल्म समीक्षा - युवा फिल्म की कहानी में संभावनाएं हैं लेकिन निर्देशकीय कल्पनाशीलता बेहद क…
हंसी का भैसा लोटन / Movie Review: Miss Tanakpur Haazir Ho ~ दिव्यचक्षु फिल्म समीक्षा - मिस टनकपुर हाजिर हो फिल्म का हास्य थोडा भदेस…
'वर्तमान साहित्य' अप्रैल, 2015 साहित्य, कला और सोच की पत्रिका सदस्यता प्रपत्र डाउनलोड करें वर्ष 32 अंक 4 अप्रैल, 2015 …
स्याह-सफ़ेद दुनिया का सच -भावना मासीवाल समाज में मनुष्यता आज हाशिए पर है और हाशियाकरण की यह प्रक्रिया लंबे समय से मानवाधिकारों के हनन के रूप…
किस्सागोई का अनोखा वितान ('गाँव भीतर गाँव ' सत्यनारायण पटेल) मनीषा जैन 'गाँव भीतर गाँव' सत्यनारायण पटेल के पहले उपन्यास…
जंगराइत को पढ़कर लगा ... प्रज्ञा हाल में प्रकशित कृष्ण बिहारी की चर्चित कहानी 'जंगराइत' पर युवा कहानीकार प्रज्ञा की टिप्पणी -----…
अँधेरे अरण्य के बीच पूनम सिन्हा जब अठारहवीं शताब्दी के अंत में जर्मनी का समूचा समाज सड़ांध मार रहा था तो बेहतरी की एकमात्र आशा देश के साहित्य …