जल ही जल नहीं रहा, आग नहीं आग. सूरत बदले चेहरे, सीरत बदला …
बदले मन के प्रसंग बदली बोली-बानी! * टूटा फूटा मजार खँडहर-सा …
मितवा मन पाखी बेचैन. प्रान-पिरावा अगिन जरावा , सुखदुख ये संसार छलावा , पल-छिन आवा …
ऋण को ऋण से भरते मूंज हुए केश, अपनी तक़दीर रहन उनके आदेश. ग़ुरबत की हथकड़ियाँ\ बच…
दीरघ दाग़ निदाघ नाहिं बिरछ की छाँव राम जी अम्बर अगिन झरे ! * घर से निकसे जीव-जहानी, आग …
नाहिन चाहिबे नाहिन रहिबे हंसा व्है उड़ि जइबे रे ! * काया-माया खेल रचाया आपु अकेला जग में आया भीतर रोया ब…
बूढा बरगद छाँह घनेरी, मंदिर घाट नदी के, आसमान धूसर पगडण्डी, कब स…
पुलिया पर बैठा एक बूढ़ा काँधे पर मटमैला थैला, थैले में कुछ अटरम-सटरम आलू-प्याज हरी तरकारी कुछ कदली फल पानी की एक बोतल भी है मदिरा जिसम…
हुज़ूरे आला, पेशे ख़िदमत है दरबारे आम में हमारा यह अर्जीनामा - कि हम थे कभी जंगल के आजाद बछेरे. किस्मत की मार कि एक दिन काफ़िले का सौदागर…
गन्धवाह-सा बौराया मन आहत स्वर उभरे। * विस्मृत्तियों का गर्भ चीरकर जन्मा सुधियों का मृगछौना , ज्यों कुहरे से …